लेखनी कहानी -05-Jan-2023 (2) गधे को बाप बनाना ( मुहावरों की दुनिया )
शीर्षक = गधे को बाप बनाना
अगली सुबह ज़ब मानव की आँख खुली तो उसने पाया की वो तो कही और से ही सो कर उठा, यानी की अपनी माँ के पास से, उसे समझ नही आया की वो ज़ब दादा के पास सोय था तो आखिर अपनी माँ के पास से कैसे जागा
आज का मौसम बेहद सुहाना था, गांव के मौसम की तो बात ही निराली होती है, राधिका भी जल्दी उठ गयी थी, उसने तो सुबह जल्दी उठने का अलार्म लगा दिया था, क्यूंकि वो जानती थी की यहाँ सब जल्दी उठते है, अगर वो देर तक सोती रही तो अच्छा नही लगेगा, भले ही वो शहर में पली बडी थी लेकिन उसके अंदर संस्कार और बड़ो का सम्मान करने का गुण था
"अरे बेटा! तुम और सो जाती नही पता कल तुम्हे यहां नींद आयी भी होगी या नही, गांव के इस घर में," राधिका की सास ने कहा ज़ब वो रसोई में आयी
"नही, नही मम्मी,, ऐसी बात नही है,, मुझे तो बहुत प्यारी नींद आयी,,, और सुबह सुबह ज़ब परिंदो की आवाज़ से मेरी आँख खुली तो मुझे लगा मानो मैं कही स्वर्ग में सोकर उठी हूँ, वरना तो शहर में गाड़ियों के शोर गुल से आँख खुलती है, लाइए मैं आपकी कुछ मदद करती हूँ "राधिका ने कहा
"नही,, नही बेटा,, हमारे यहाँ बेटियां काम नही करती है,, तुम जाओ बैठो मैं अभी तुम्हारे लिए शहर वाला नाश्ता बना कर लाती हूँ " राधिका की सास ने कहा
"शहर वाला नाश्ता " राधिका ने हेरत से पूछा
"हाँ,, वही अंडा, ब्रेड वाला नाश्ता " राधिका की सास ने कहा
"नही,, नही मम्मी,, मैं तो यहाँ आपके साथ वो वाला नाश्ता करूंगी जो आप लोग करते है, वो परांठे, दूध, मक्खन वाला नाश्ता " राधिका ने कहा
"लेकिन शहर कि लड़कियां तो इन सब से परहेज करती है, वो क्या कहते है अंग्रेजी में डेट,,,, यही कहते है ना " राधिका कि सास ने कहा
राधिका मुस्कुराई और बोली " मम्मी डेट नही,, डाइट,, लेकिन मैं अब ज़ब तक यहाँ हूँ कोई डाइट फ़ॉलो नही करूंगी, भला माँ के हाथ के खाने से भी कोई बीमार होता है ,, चलिए अब साथ में नाश्ता बनाते है ,, फिर मुझे आप ये गांव घुमाना,, पता नही आशीष कैसे इतने प्यारे गांव को छोड़ कर शहर जा बसें, कितना अच्छा होता वो भी हमारे साथ होते "
"ठीक कहा बेटा,, लेकिन इन बाप बेटों कि लड़ाई में,, मैं बेक़सूर पिस रही हूँ,, जिसने इतने सालों से अपने बेटे को नही देखा है,,," राधिका कि सास ने कहा उदास मन से
"आप उदास ना हो मम्मी,, देखना उनका हम लोगो के बिना मन नही लगेगा वो कुछ दिन में यहाँ आ जाएंगे " राधिका ने कहा
"भगवान करे ऐसा ही हो, चलो अब नाश्ता करे भूख लगी होगी तुम्हे,, ये दोनों दादा पोते कहा गए,, इन्हे भी बुलाऊ " राधिका कि सास ने कहा
वही दूसरी तरफ मानव अपने दादा के साथ गांव कि सेर को निकल गया था , और उसके दादा ख़ुशी ख़ुशी उसे अपने कांधे पर बैठाये इधर से उधर घूम रहे थे,, अब बस उसे शाम का इंतज़ार था ताकि वो एक और मुहावरें को कहानी का रूप दे सके , और प्रतियोगिता जीत कर क्लास का मॉनिटर बन जाए
सुबह से दोपहर और फिर दोपहर से शाम हो जाती है, और फिर मानव कॉपी पेन लेकर अपने दादा के पास चला जाता है , अगले मुहावरें का अर्थ समझने
और अगला मुहावरा था " गधे को बाप बनाना "
इसका मतलब क्या होता है, दादा जी? मानव ने पूछा
बेटा इसका अर्थ होता है, कि मुसीबत पड़ने पर मूर्ख से मूर्ख समझें वाले इंसान को भी लोग अपना मतलब निकालने के लिए उसे इस्तेमाल कर लेते है
आओ इसे कहानी की सहायता से समझते है, ताकि तुम अच्छे से समझ सको
"बेटा ज़ब तुम लोग शहर से गांव की तरफ आ रहे थे, तब रास्ते में तुम लोगो की गाड़ी एक पुल पर रुक गयी होगी, क्यूंकि उस पुल पर काम चल रहा था " दीन दयाल जी ने कहा
"जी दादा, काफ़ी देर बाद हमारी गाड़ी वहाँ से निकल पायी थी, वहाँ ऐसा क्या काम चल रहा था " मानव ने पूछा
"बेटा गधे को बाप बनाने की तैयारी चल रही थी " दीन दयाल जी ने कहा
"क्या मतलब दादा जी, मैं समझा नही?" मानव ने पूछा
बेटा साफ और स्पष्ट शब्दों में कहू तो जनता को मूर्ख बनाने की तैयारी चल रही है, क्यूंकि कुछ दिन बाद चुनाव है, हमारे इस गांव में, जिस पुल से तुम्हारी गाड़ी गुज़री थी वो पिछले तीन साल से टूटी पड़ी थी, तेज बारिश की वजह से वो बह गयी थी, और पिछले तीन साल से उसे बनवाने के नाम पर गांव का सरपंच पैसे खा रहा था, क्यूंकि उसे पता था अभी उसके पास तीन साल बचे है, इस गांव का सरपंच बने रहने के लिए, गांव वाले परेशान होते है तो होने दो, वो तो उन्हें बेवकूफ बनाना आसानी से जनता है
पिछले तीन साल से गांव से शहर और शहर से गांव जाने के लिए लोग ना जाने किन किन रास्तो का इस्तेमाल कर रहे थे ये वो ही जानते है, कोई नाव से नदी पार कर शहर जाता तो कोई किसी दुसरे रास्ते से शहर जाता
लेकिन अब ज़ब चुनाव नजदीक है, जनता से वोट मांगना है, पांच साल उन्हें मूर्ख समझ कर अब फिर उन्हें नयी नई चीज़ो का झांसा देकर गधे को बाप बनाने वाली कहावत सच की जा रही है, और वो बेचारे हर बार कुछ अच्छा होने की आस में बेवकूफ बनते जाते है
बेटा इसी तरह के लोग तुम्हे हर जगह मिलेंगे, कुछ तुम्हारे मित्र होंगे, कुछ रिश्तेदार तो कुछ तुम्हारे अपने भी होंगे जो सिर्फ अपनी ज़रूरत पड़ने पर ही तुम्हे याद करेंगे और अपना काम निकल जाने पर तुम्हे मूर्ख समझ कर तुम पर हसेंगे, तो ऐसे लोगो से सावधान रहना , यही इस मुहावरें से सीख मिलती है
मानव ने दादा द्वारा बताई अपने गांव की व्यथा को कहानी का रूप देकर अपनी कॉपी में लिख लिया, और वही नींद आने पर सो गया कल किसी और मुहावरें पर अपने दादा से कहानी सुनने और लिखने की आस लगा कर
मुहावरों की दुनिया प्रतियोगिता हेतु
Seema Priyadarshini sahay
05-Mar-2023 12:36 PM
बेहतरीन 👌👌
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𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
07-Feb-2023 06:18 PM
यह कहानी भी अच्छी हैं। पर मैं जानना चाहती हूँ ऐसा घर कहाँ होता हैं जहाँ बेटियों से काम नहीं कराते? खैर मेरी कहानियो कि बात मत करियेगा कि मेरी कहानियो में तो कुछ भी होता हैं उस पर ध्यान दूँ। 😂 हमारी कहानियो को वास्तविकता से न ही जोड़ना सही हैं। क्यूंकि हम कहानी नहीं fairy टेल लिखते हैं हमारे अकॉर्डिंग तो। या किसी को भी चिढ़ाने के लिए लिखते हैं ज्यादातर 🤣🤣😂
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Rajeev kumar jha
10-Jan-2023 05:53 PM
शानदार
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